Rajasthan Festivals and Rituals शीतला अष्टमी होली के आठवें दिन उत्तर भारत के अधिकांश घरों में शीतला अष्टमी मनाई जाती है. यह पर्व शीतला माता को समर्पित है. शीतला माता चेचक, हैजा जैसे रोगों से रक्षा करती हैं. शीतला अष्टमी को बसोड़ा भी कहा जाता है. इस दिन घर में ताज़ा खाना बनाना वर्जित माना जाता है. अभय मुद्रा में विराजमान हैं शीतला माता शीतला माता को चेचक जैसे रोग की देवी माना जाता है. यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते धारण किए होती हैं. गर्दभ की सवारी किए हुए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं. हर साल होली के त्योहार के आठवें दिन शीतला अष्टमी मनाई जाती है. कई जगह पर ये सप्तमी तिथि को भी मनाई जाती है. उत्तर भारत के अधिकांश घरों में शीतला अष्टमी के दिन व्रत और शीतला माता की पूजा अर्चना की जाती है. शीतला अष्टमी को बसोड़ा भी कहा जाता है. यह शीतला माता का पर्व है इसलिए इस दिन शीतला माता की सच्चे मन से आराधना करने से चेचक, खसरा हैजा जैसे संक्रामक रोग नहीं होते हैं. ये देवी इन बीमारियों के प्रकोप से बचाती है. इस दिन माता को बासी पकवान चढ़ाने की प्रथा है. पूजा विधि : सप्तमी के
technical topics of interest and mostly centric to telecom domain ..